प्रति
महापौर
उत्तरी दिल्ली नगर निगम
दिल्ली
विषय- तीस स्कूलों को ’उत्कृष्ट मॉडल स्कूल’ बनाने के सन्दर्भ में।
महोदय/महोदया
लोक शिक्षक मंच शिक्षकों व शिक्षा से जुड़े अन्य लोगों का एक प्रगतिशील समूह है जो कि सरकारी स्कूलों को बेहतर स्कूल
बनाने को प्रतिबद्ध है। पिछले दिनों समाचार पत्र के निगम विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम एक अप्रैल 2014 से तीस स्कूलों को ’उत्कृष्ट मॉडल’ स्कूल बनाने जा रहा है और इनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा और सम्पूर्ण विकास के लिए जरुरी सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी।
लोक शिक्षक मंच ’उत्कृष्ट मॉडल’ के नाम से स्कूलों की एक नई श्रेणी बनाने के निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है।
1- घोषणा के अनुसार जो सुविधाएँ इन तीस स्कूलों को दी जाएँगी उन सभी सुविधाओं की निगम के प्रत्येक स्कूल में जरूरत है। निगम के बहुत से स्कूल सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। ऐसी दशा में इस प्रकार के चंद स्कूलों को शुरु करने से निगम के अन्य स्कूल व उनके विद्यार्थी, शिक्षक और समुदाय उपेक्षित महसूस करेंगे कि उनके साथ भेदभाव हो रहा है।
2- इन तीस स्कूलों में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरें लगाने की जो योजना है उसके तहत इन्हें केवल प्रवेश द्वार पर ही लगाया जाए ताकि हर आने-जाने वाले को चिन्हित किया जा सके। लेकिन स्कूलों के अंदर कैमरे लगाने से उस सहज माहौल पर दुष्प्रभाव पड़ेगा जो कि अच्छे व मौलिक शिक्षण के लिए अनिवार्य है। कृत्रिम व यांत्रिक निगरानी से न सिर्फ शिक्षण की कला और स्वायत्तता पर चोट पहुँचेगी, बल्कि इससे निगम का शिक्षकों के प्रति अविश्वास स्थापित होगा - जोकि शिक्षकों की गरिमा को ठेस पहुँचाएगा। दूसरी ओर, अगर विद्यालय में बच्चों का सहज व उन्मुक्त उठना-बैठना, भागना-दौड़ना मैदान या गलियारों में लगे कैमरों में कैद होता है तो इससे उनकी मासूम निजता के हनन की सम्भावना भी बढ़ती है। आज के दौर में सूचना-प्रोद्योगिकी के दुरुपयोग के भी उदाहरण हमारे सामने हैं।
3- इन तीस स्कूलों की जिम्मेदारी पूरी तरह से निगम को ही संभालनी चाहिए। इनमें एन. जी. ओ. की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। चूँकि इनकी भूमिका को लेकर भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अकादमिक व सांगठनिक स्तरों पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि इनका इस्तेमाल सार्वजनिक व्यवस्था को बदनाम और कमजोर करने तथा निजीकरण को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। साथ ही, इनके वॉलिंटियर्स द्वारा स्कूलों में शिक्षकों की भूमिका निभाने से निगम के योग्य व प्रशिक्षित शिक्षकों के औचित्य, अस्तित्व और दायित्व के बारे में अपमानजनक संदेश जाता है।
4- इन तीस स्कूलों में जो भी नई अथवा अतिरिक्त नियुक्ति की जाए वह पूर्णकालिक व स्थाई हो। अन्यथा ठेके या दैनिक-वेतन पर नियुक्ति करने से न केवल सामाजिक असुरक्षा बढ़ रही है, बल्कि संविधान-सम्मत आरक्षण व्यवस्था का भी उल्लंघन हो रहा है जिसका खामियाजा समाज के वंचित वर्गों को उठाना पड़ रहा है। साथ ही, स्कूल जैसी मानव-संबंधों पर आधारित संस्था में स्थाई नियुक्तियों से ही विभिन्न कर्मचारियों व स्कूल के बीच अपनेपन तथा गहराई के वो रिश्ते स्थापित हो सकते हैं जो कि स्कूलों में साझेपन व परस्पर जिम्मेदारी के दूरगामी सामाजिक चरित्र के निर्माण के लिए आवश्यक हैं।
अंत में हम आपसे माँग करते हैं कि-
० निगम के सभी विद्यालयों को सभी जरूरी सुविधाएँ समान रूप से प्रदान की जाएँ।
० सी. सी. टी. वी. कैमरों को केवल मुख्य द्वार पर ही लगाया जाए।
० एन. जी. ओ. की नकारात्मक भूमिका को देखते हुए निगम स्कूलों से इनको प्रतिबंधित किया जाए।
० निगम के सभी विद्यालयों में कर्मचारियों को स्थाई तौर पर ही नियुक्त किया जाए।
हम उम्मीद करते हैं कि आप उपरोक्त सवालों, शंकाओं व विरोध को गम्भीरता से लेकर इस हेतु निर्णय व नीति पर पुनर्विचार करने का निर्देश देंगे/देंगी।
सधन्यवाद
सदस्य ,संयोजक समिति सदस्य ,संयोजक समिति सदस्य ,संयोजक समिति सदस्य ,संयोजक समिति
प्रतिलिपि
अध्यक्ष, शिक्षा समिति, उ. दि. न. नि.
उपाध्यक्ष, शिक्षा समिति, उ. दि. न. नि.
नेता, विपक्ष, उ. दि. न. नि.
आयुक्त, उ. दि. न. नि.
निदेशक, शिक्षा, उ. दि. न. नि.
महापौर
उत्तरी दिल्ली नगर निगम
दिल्ली
विषय- तीस स्कूलों को ’उत्कृष्ट मॉडल स्कूल’ बनाने के सन्दर्भ में।
महोदय/महोदया
लोक शिक्षक मंच शिक्षकों व शिक्षा से जुड़े अन्य लोगों का एक प्रगतिशील समूह है जो कि सरकारी स्कूलों को बेहतर स्कूल
बनाने को प्रतिबद्ध है। पिछले दिनों समाचार पत्र के निगम विज्ञापन से ज्ञात हुआ कि उत्तरी दिल्ली नगर निगम एक अप्रैल 2014 से तीस स्कूलों को ’उत्कृष्ट मॉडल’ स्कूल बनाने जा रहा है और इनमें पढ़ने वाले विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा और सम्पूर्ण विकास के लिए जरुरी सुविधाएँ प्रदान की जाएँगी।
लोक शिक्षक मंच ’उत्कृष्ट मॉडल’ के नाम से स्कूलों की एक नई श्रेणी बनाने के निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करता है।
1- घोषणा के अनुसार जो सुविधाएँ इन तीस स्कूलों को दी जाएँगी उन सभी सुविधाओं की निगम के प्रत्येक स्कूल में जरूरत है। निगम के बहुत से स्कूल सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। ऐसी दशा में इस प्रकार के चंद स्कूलों को शुरु करने से निगम के अन्य स्कूल व उनके विद्यार्थी, शिक्षक और समुदाय उपेक्षित महसूस करेंगे कि उनके साथ भेदभाव हो रहा है।
2- इन तीस स्कूलों में सुरक्षा की दृष्टि से सीसीटीवी कैमरें लगाने की जो योजना है उसके तहत इन्हें केवल प्रवेश द्वार पर ही लगाया जाए ताकि हर आने-जाने वाले को चिन्हित किया जा सके। लेकिन स्कूलों के अंदर कैमरे लगाने से उस सहज माहौल पर दुष्प्रभाव पड़ेगा जो कि अच्छे व मौलिक शिक्षण के लिए अनिवार्य है। कृत्रिम व यांत्रिक निगरानी से न सिर्फ शिक्षण की कला और स्वायत्तता पर चोट पहुँचेगी, बल्कि इससे निगम का शिक्षकों के प्रति अविश्वास स्थापित होगा - जोकि शिक्षकों की गरिमा को ठेस पहुँचाएगा। दूसरी ओर, अगर विद्यालय में बच्चों का सहज व उन्मुक्त उठना-बैठना, भागना-दौड़ना मैदान या गलियारों में लगे कैमरों में कैद होता है तो इससे उनकी मासूम निजता के हनन की सम्भावना भी बढ़ती है। आज के दौर में सूचना-प्रोद्योगिकी के दुरुपयोग के भी उदाहरण हमारे सामने हैं।
3- इन तीस स्कूलों की जिम्मेदारी पूरी तरह से निगम को ही संभालनी चाहिए। इनमें एन. जी. ओ. की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। चूँकि इनकी भूमिका को लेकर भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अकादमिक व सांगठनिक स्तरों पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि इनका इस्तेमाल सार्वजनिक व्यवस्था को बदनाम और कमजोर करने तथा निजीकरण को बढ़ाने के लिए किया जा रहा है। साथ ही, इनके वॉलिंटियर्स द्वारा स्कूलों में शिक्षकों की भूमिका निभाने से निगम के योग्य व प्रशिक्षित शिक्षकों के औचित्य, अस्तित्व और दायित्व के बारे में अपमानजनक संदेश जाता है।
4- इन तीस स्कूलों में जो भी नई अथवा अतिरिक्त नियुक्ति की जाए वह पूर्णकालिक व स्थाई हो। अन्यथा ठेके या दैनिक-वेतन पर नियुक्ति करने से न केवल सामाजिक असुरक्षा बढ़ रही है, बल्कि संविधान-सम्मत आरक्षण व्यवस्था का भी उल्लंघन हो रहा है जिसका खामियाजा समाज के वंचित वर्गों को उठाना पड़ रहा है। साथ ही, स्कूल जैसी मानव-संबंधों पर आधारित संस्था में स्थाई नियुक्तियों से ही विभिन्न कर्मचारियों व स्कूल के बीच अपनेपन तथा गहराई के वो रिश्ते स्थापित हो सकते हैं जो कि स्कूलों में साझेपन व परस्पर जिम्मेदारी के दूरगामी सामाजिक चरित्र के निर्माण के लिए आवश्यक हैं।
अंत में हम आपसे माँग करते हैं कि-
० निगम के सभी विद्यालयों को सभी जरूरी सुविधाएँ समान रूप से प्रदान की जाएँ।
० सी. सी. टी. वी. कैमरों को केवल मुख्य द्वार पर ही लगाया जाए।
० एन. जी. ओ. की नकारात्मक भूमिका को देखते हुए निगम स्कूलों से इनको प्रतिबंधित किया जाए।
० निगम के सभी विद्यालयों में कर्मचारियों को स्थाई तौर पर ही नियुक्त किया जाए।
हम उम्मीद करते हैं कि आप उपरोक्त सवालों, शंकाओं व विरोध को गम्भीरता से लेकर इस हेतु निर्णय व नीति पर पुनर्विचार करने का निर्देश देंगे/देंगी।
सधन्यवाद
सदस्य ,संयोजक समिति सदस्य ,संयोजक समिति सदस्य ,संयोजक समिति सदस्य ,संयोजक समिति
प्रतिलिपि
अध्यक्ष, शिक्षा समिति, उ. दि. न. नि.
उपाध्यक्ष, शिक्षा समिति, उ. दि. न. नि.
नेता, विपक्ष, उ. दि. न. नि.
आयुक्त, उ. दि. न. नि.
निदेशक, शिक्षा, उ. दि. न. नि.