लोक शिक्षक मंच दिल्ली सरकार द्वारा शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की उम्र 65 वर्ष तक बढाने पर अपना कड़ा विरोध दर्ज करता है. इस समय जहाँ दिल्ली ही नहीं वरन देश भर में बड़ी संख्या में बेरोजगार युवक-युवतियां बी०एड० तथा ई०टी०ई० (डाइट) आदि शिक्षण-प्रशिक्षण कोर्स करके नौकरियों का इंतजार कर रहे हैं, ऐसे में सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ते ही आगामी वर्षों में होने वाली नई नियुक्तियों की संभावना खत्म हो जाएगी। दिल्ली में ही पिछले कई सालो से शिक्षकों के कई हजार पद खाली पड़े हैं और सरकार नियमित शिक्षकों की बहाली करने के बजाय इन्हें लगातार संविदा, अतिथि आदि अनियमित व कम वेतन वाले पदों में परिवर्तित कर रही है. इस नीति से युवा पीढ़ी के भविष्य की संभावनाएं और अधिक खतरे में पड़ जाएँगी। यह एक ही स्कूल व्यवस्था के भीतर गैर-बराबरी की कार्य-शर्तो पर काम करने वाले शिक्षकों के भिन्न वर्ग निर्मित कर शिक्षकों की एकजुटता को तोड़ने तथा सरकार की जनविरोधी शिक्षा नीतियों का प्रतिरोध करने की क्षमता को कुंद करने की साजिश है. इस निर्णय की हम इसलिए भी निंदा करते है क्योंकि इससे भावी व सेवानिवृत्त न होने वाले शिक्षकों के हितों के बीच आपसी टकराव पैदा होगा। इस निर्णय को हम सरकारों द्वारा अपनाई जा रही नवउदारवादी नीतियों के क्रम में देखते है जिनका उद्देश्य सार्वजानिक शिक्षा व्यवस्था को ध्वस्त करना है. इनके तहत सरकार अपने स्कूलों को तथाकथित 'स्वयं सेवी संस्थाओं' तथा निजी व कॉर्पोरेट ताकतों को सौंपकर शिक्षा को बाजारू माल बनाना चाहती है. इसी कड़ी में दक्षिणी दिल्ली नगर निगम अपने 50 स्कूल इन ताकतों को सौंपने का निर्णय भी ले चुका है. और यह सब कॉर्पोरेट ताकतों द्वारा पोषित पीपीपी की नीति की आड़ में हो रहा है।
लोक शिक्षक मंच शिक्षक साथियों से अपील करता है कि सरकार की इस जन विरोधी योजना का एकजुट होकर विरोध करें और दिल्ली सरकार से मांग करता है कि इस फैसले को तत्काल वापिस ले।
3 comments:
100 कर देती तब भी क्या फर्क पड़ता। वैसे भी कौन सा पढ़ाने के लिये मास्टर भर्ती किये जाते है।
padhana to hai nahi, office ka kam to hota hai hi nahi,computer sabd ke alaba chalana to jante hai nahi, bus in budhdhon ko salary sarkar deti rahe aur ye log netagiri bhi kartein rahe. hum log kiyon n aise 60+ ke longo ko kabhi support hi n karein.
teachers ko marne k bd samshan me bhi jakar salary sarkar degi.
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