Thursday, 30 April 2015

मेमोरेंडम : सभी बच्चों के लिए बराबरी की शिक्षा व्यवस्था खड़ी करने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण माँगें

दिल्ली के शिक्षा मंत्री को लोक शिक्षक मंच ने दिल्ली के सभी बच्चों के लिए बराबरी की शिक्षा व्यवस्था खड़ी करने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण माँगें प्रस्तुत की ................... संपादक। 

Øe lañ  07 /अप्रैल / 2015                                               fnukad % 26 / अप्रैल / 2015                                                                                 

प्रति
शिक्षा मंत्री  
दिल्ली सरकार
दिल्ली

विषय : सभी बच्चों के लिए बराबरी की शिक्षा व्यवस्था खड़ी करने की दिशा में कुछ महत्वपूर्ण माँगें।  

महोदय,

लोक शिक्षक मंच शिक्षा के विद्यार्थियों, शोधार्थियों और शिक्षकों का एक समूह है जोकि सरकारी शिक्षा व्यवस्था के मजबूतीकरण के लिए प्रतिबद्ध है। जैसा कि आप जानते हैं, जनता की मूलभूत जरूरतों में शिक्षा भी एक महत्वपूर्ण घटक है और केवल कानून में शिक्षा का अधिकार देना ही इस जरूरत को पूरा नहीं करता। इस मूलभूत जरूरत के लिए आवश्यक है कि सभी बच्चों को पड़ोस के स्कूल में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की पूरी व्यवस्था सरकार अपनी ज़िम्मेदारी समझ कर करे।
इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के संदर्भ में लोक शिक्षक मंच आपके समक्ष निम्नांकित माँगें रखता है :

स्कूल के सुचारू ढंग से काम करने से जुड़े बिंदु

·         विद्यार्थियों के लिए जरूरी सभी सुविधाओं को सत्र के आरंभ अर्थात अप्रैल के महीने में ही दे दिया जाए। इससे पूरे वर्ष शैक्षणिक कार्य को प्रभावित होने से बचाया जा सकता है।
·         दिल्ली के प्रत्येक विद्यालय में सफाई कर्मियों की स्थायी नियुक्ति बच्चों की संख्या के अनुपात में की जाए|
·         सभी स्कूलों में पर्याप्त संख्या में गैर-शैक्षणिक स्टाफ नियुक्त किया जाए ताकि शिक्षण से इतर ज़रूरी कामों के लिए विद्यार्थियों की पढ़ाका नुकसान न हो|

सुचारू शिक्षण से जुड़े बिंदु –

·              शिक्षकों को गैर-शैक्षणिक कार्यों से पूरी तरह से मुक्त किया जाए।
·              शिक्षकों को मध्याहन भोजन की ज़िम्मेदारी से पूर्णरूपेण मुक्त किया जाए और इसकी सभी तरह के निदेशन के कार्य को विद्यालय प्रबंधन समिति को सौंपा जाए।  
·              दिल्ली के प्रत्येक विद्यालय में विशेष अध्यापकों की नियुक्ति की जाए जैसे CWSN शिक्षक, खेल, कला, संगीत आदि के अध्यापक और उन्हें अन्य कामों में व्यस्त न रखा जाए| 

बच्चों के अधिकारों से जुड़े बिंदु

·         सरकारी विद्यालय में पढ़ने वाले प्रत्येक बच्चे की ज़िम्मेदारी सरकार की है| इस हेतु हरेक बच्चे के लिए विद्यालय आने-जाने की मुफ्त व्यवस्था की जाए|
·         प्रत्येक स्कूल में हर स्ट्रीम व विषय उपलब्ध करवाया जाए और दसवीं के उपरांत सभी बच्चों को, बिना लैंगिक व वर्गीय भेदभाव के आधार पर दबाव बनाए, विभिन्न स्ट्रीम्स को पढ़ने के लिए समान रूप से प्रोत्साहित किया जाए।  

स्कूलों की अकादमिक स्वायत्तता से जुड़े बिंदु

·              विद्यालयों की स्वायत्तता का सम्मान किया जाए और उनके अकादमिक कैलंडर को सत्ताधारी फरमानों के हस्तक्षेप से बाधित न किया जाए| पिछले सत्र में कई अवसरों (जैसे शिक्षक दिवस, गाँधी जयंती,  क्रिसमस,  स्वच्छ भारत अभियान) पर स्कूलों में अनुचित हस्तक्षेप किया गया जिससे कि स्कूलों की गरिमा को ठेस पहुँची|

नीतियों से जुड़े बिंदु – 

·         स्कूलों में ठेकाकरण को पूरी तरह से खत्म किया जाए और सभी रिक्तियों को नियमित पदों से भरा जाए।
·         स्कूलों में शिक्षण सहित हर कार्य से एन.जी.ओ. को दूर रखा जाए| हमारा अनुभव व शोध बताते हैं कि शिक्षा को मुनाफा कमाने के लिए इस्तेमाल करने वाली ताक़तें एनजीओ के माध्यम से सरकारी शिक्षा तंत्र को विफल साबित करने के प्रयास करती हैं जिससे कि शिक्षा के बाजारीकरण व निजीकरण के लिए ज़मीन तैयार हो सके|

हम आशा करते हैं कि उपरोक्त मांगों के संदर्भ में आप उचित व त्वरित कार्यवाही करेंगे।



सधन्यवाद



सदस्य, संयोजक समिति          सदस्य, संयोजक समिति          सदस्य, संयोजक समिति
लोक शिक्षक मंच                 लोक शिक्षक मंच                लोक शिक्षक मंच 


पत्र : विद्यालय में दाखिला प्रक्रिया के संदर्भ में

लोक शिक्षक मंच द्वारा दाखिले के लिए कुछ स्कूलों को पत्र लिखा गया है जो कि हमारे सबको दाखिला अभियान का हिस्सा है।   संपादक 

Øe lañ  06 /अप्रैल / 2015                                               fnukad % 26 / अप्रैल / 2015                                                                                 

प्रति 
उप-प्रधानाचार्या 
उच्च माध्यमिक कन्या विद्यालय
ढक्का, दिल्ली

विषय: विद्यालय में दाखिला प्रक्रिया के संदर्भ में।
महोदया,
लोक शिक्षक मंच सार्वजनिक स्कूल व्यवस्था, बच्चों और शिक्षक साथियों के हितों को एक मानते हुये आपके साथ कुछ विचार व चिंताएँ साझा करना चाहता है। हम अच्छी तरह जानते हैं कि स्कूलों में हमें किन विषम परिस्थितियों और प्रशासनिक दबाव के तहत काम करना होता है। इसके बावजूद आज भी सरकारी स्कूल और शिक्षक सभी बच्चों के शिक्षा अधिकारों के पक्ष में तहेदिल से कार्यरत हैं और अपनी लोकतान्त्रिक ज़िम्मेदारी निभाने में जुटे हुये हैं। फिर भी यह एक कड़वी हक़ीक़त है कि देश के लाखों बच्चे आज भी स्कूलों के बाहर हैं। हमारे इलाक़े में भी ऐसे बच्चे हैं। दूसरी तरफ हम एक ऐसे खतरनाक दौर में हैं जिसमें कि शिक्षा को निजी मुनाफा कमाने के लिए इस्तेमाल करने को आतुर ताक़तें सरकारी स्कूल व्यवस्था व शिक्षकों के विरुद्ध लगातार कुप्रचार कर रही हैं, जनता व हमारे बीच दूरी पैदा की जा रही है और गिरते नामांकन को हमारी विफलता व लोगों से अलगाव दोनों के सबूत के रूप में दिखाया जा रहा है। यह कहना अफसोसनाक है कि अक्सर हमारे स्कूलों में वो बच्चे दाखिला लेने आते हैं जिनके माता-पिता उन्हें और कहीं नहीं पढ़ा सकते, यानि सरकारी स्कूल उनका अंतिम विकल्प हैं। हम समझते हैं कि उपरोक्त संदर्भों में हमारी कानूनी, पेशागत व नैतिक सभी तरह की ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि हम अपने स्कूलों के माहौल व प्रवेश प्रक्रिया को समाज के अंतिम पायदान पर खड़े वर्गों के हित में सहज-सुलभ बनाएँ।

हम आपसे अपील करते हैं कि अपने स्कूल को सच्चे अर्थों में जनता की संस्था के रूप में खड़ा करें जहाँ से एक भी प्रार्थी निराश या खाली हाथ ना लौटे।

     
सधन्यवाद


सदस्य, संयोजक समिति              सदस्य, संयोजक समिति                सदस्य, संयोजक समिति

लोक शिक्षक मंच                     लोक शिक्षक मंच                     लोक शिक्षक मंच  

Thursday, 9 April 2015

पत्र : शिक्षा अधिकार कानून का उल्लंघन

प्रति                                                                                                        दिनांक : 07 अप्रैल, 2015 
     शिक्षा  निदेशक
   दिल्ली सरकार
   दिल्ली

विषय: शिक्षा अधिकार कानून के उल्लंघन व माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना के संबंध में।  
महोदय/महोदया,
                     लोक शिक्षक मंच आपको अवगत कराना चाहता है कि दिल्ली प्रशासन के स्कूलों में विभिन्न कक्षाओं में दाखिला प्रक्रिया में शिक्षा अधिकार कानून का उल्लंघन व माननीय उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवमानना हो रही है। दाखिले के समय बच्चों के अभिभावकों पर विभिन्न प्रकार के दस्तावेज़, जिनमें आधार कार्ड भी शामिल है, लाने का दबाव डाला जा रहा है, प्रवेश के समय ही आधार कार्ड की प्रति व बैंक खाते की जानकारी माँगी जा रही है और इसके अभाव में दाखिला नहीं दिया जा रहा है। इस निर्देश को लेकर हमारी चिंता व आपत्ति के कुछ कारण निम्नलिखित हैं –

1.    शिक्षा अधिकार क़ानून (2009) बच्चों के प्रवेश और शिक्षा के लिए किसी भी दस्तावेज़ की अनिवार्यता को प्रतिबंधित करता है। 
2.    सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ये आदेश दिए जा चुके हैं कि किसी भी नागरिक अधिकार या सेवा के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं बनाया जाएगा। 
3.    इसके पालन में शिक्षकों का समय व उनकी ऊर्जा ऐसे काम में लग रही है जिसका बच्चों की शिक्षा से कोई सरोकार नहीं है। यह किसी भी तरह स्कूलों में शिक्षा के माहौल के लिए न अनिवार्य है और न फायदेमंद है। 
4.    हमारी जानकारी में ऐसे बच्चे हैं जिन्हें कि दिल्ली प्रशासन के स्कूलों की छठी कक्षा में प्रवेश इसलिए नहीं मिला क्योंकि वो आधार कार्ड प्रस्तुत नहीं कर पाए। ऐसे में जबकि आधार कार्ड नागरिकता का प्रमाण नहीं है और न ही शिक्षा के हक़ के लिए अनिवार्य, इस तरह के आदेश का खामियाजा बच्चों को शिक्षा से बाहर कर दिए जाने में चुकाना पड़ा। खासतौर उन विषम परिस्थितियों में जिनसे सरकारी स्कूली व्यवस्था में दाखिला लेने और पढ़ने वाले आते हैं आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज़ों की माँग करना उनके साथ नाइंसाफी है। 

हम आपसे अपील करते हैं कि इस संदर्भ में त्वरित व कठोर आदेश जारी करके सभी बच्चों को शिक्षा का वास्तविक अधिकार दिलाने की परिस्थितियाँ उपलब्ध कराएँ। 

सधन्यवाद



सदस्य, संयोजक समिति          सदस्य, संयोजक समिति          सदस्य, संयोजक समिति
लोक शिक्षक मंच                 लोक शिक्षक मंच                लोक शिक्षक मंच 

 




प्रतिलिपि :
मुख्यमंत्री, दिल्ली सरकार
शिक्षा मंत्री, दिल्ली सरकार
दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग

गवर्नमेंट स्कूल टीचर्स एसोसिएशन (GSTA)