नहीं होगी सुलह
मित्रों में नहीं दे सकता इजाज़त
तुम्हें भौतिक सुख के साथ
(और उसी की ताकत पर )
परोपकार का संतोष कमाने की
तुम्हारी दुनिया में होता होगा
ऐश -ओ -आराम लूट का माल और
पुण्य ,भलाई का साथ
मेरी दुनिया में दोनों का ही
कोई मूल्य नहीं
सिवाय इनकी कुरूपता के
भोगो अपना घटिया अस्तित्व
रखो या बाँटो अपनी खैरात
नहीं होगी सुलह हमारे बीच
- फ़िरोज़ अहमद -
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