Tuesday, 15 June 2021

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले उन विद्यार्थियों की शिक्षा से संबंधित जो सत्र 2020-21 में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा शुल्क नहीं दे पाए थे

प्रति,


अध्यक्ष
दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग

विषय: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले उन विद्यार्थियों की शिक्षा से संबंधित जो सत्र 2020-21 में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा शुल्क नहीं दे पाए थे

महोदय,

लोक शिक्षक मंच आपके सामने दिल्ली के सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले कक्षा X और XII के उन विद्यार्थियों के साथ हुए अन्याय को रेखांकित करना चाहता है जो सत्र 2020-21 में सीबीएसई बोर्ड परीक्षा शुल्क नहीं दे पाए थे।

जब पूरा समाज कोरोना की पहली लहर से जूझ रहा था और महामारी व घरबन्दी के चलते मज़दूर परिवारों में खाने तक के लाले पड़े थे, तब सीबीएसई ने कक्षा X और XII के विद्यार्थियों पर 2100 या 2400 रु या अधिक की बोर्ड परीक्षा फ़ीस थोप दी थी।

सीबीएसई के इस निर्णय के चलते इन परिवारों के सर पर यह डर मंडराने लगा कि दसवीं/बारहवीं तक पहुँचने के बाद भी कहीं उनके बच्चों की पढ़ाई छूट न जाए। इसलिए उन्हें क़र्ज़ लेकर या सामान बेचकर फ़ीस का इंतज़ाम करना पड़ा। पिछले साल न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार ने बोर्ड परीक्षा फ़ीस माफ़ की।

लेकिन दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ऐसे अनेक बच्चे होंगे जो बहुत कोशिश के बावजूद इस फ़ीस का इंतज़ाम नहीं कर पाए। सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत माँगने के बावजूद हमें यह डाटा व्यवस्थित रूप में उपलब्ध नहीं कराया गया कि ऐसे कितने विद्यार्थी थे जो 2020-21 में यह फ़ीस नहीं दे पाए। और न ही दिल्ली शिक्षा निदेशालय ने, न सीबीएसई ने अभी तक यह डाटा सार्वजनिक किया है कि 2020-21 में फ़ीस न दे पाने के कारण कितने विद्यार्थी शिक्षा से वंचित हो गए हैं। यह शर्मनाक है कि इस देश के बच्चों को अपनी स्कूली शिक्षा खरीदनी पड़ी, जबकि किसी भी सभ्य समाज में यह उनका मौलिक अधिकार होता।

साथ ही परीक्षाएं रद्द होने के सन्दर्भ में सीबीएसई से परीक्षा शुल्क के व्यय का हिसाब माँगा जाए। उदाहरण के लिए, दसवीं कक्षा के मूल्यांकन के लिए सीबीएसई द्वारा बनवाई गई रिजल्ट समिति में 7 शिक्षकों का पारिश्रमिक 12,500/- रु प्रति स्कूल बनता है, जबकि एक-एक स्कूल से लाखों रु की फ़ीस इकट्ठी की गई थी। इसका हिसाब सीबीएसई कब देगी? हम इस माँग में विद्यार्थियों के साथ खड़े हैं कि कक्षा X और XII की बोर्ड परीक्षा फ़ीस बच्चों को तत्काल वापस की जाए।

क्या दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने ऐसे बच्चों का संज्ञान लेते हुए कोई कदम उठाए हैं? हमारी अपील है कि आयोग तुरंत सीबीएसई को निम्नलिखित दिशा-निर्देश जारी करे -  

1. सीबीएसई यह डाटा सार्वजनिक करे कि सत्र 2020-21 में दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले कितने विद्यार्थी 10वीं, 12वीं की बोर्ड परीक्षा फ़ीस नहीं भर पाए थे। 
2. सत्र 2020-21 में जो बच्चे फ़ीस नहीं दे पाए थे या किसी अन्य कारण से समय रहते कक्षा X या XII में सीबीएसई रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए थे, उनके मूल्यांकन के लिए वैकल्पिक योजना बनाई जाए और इन्हें भी अपने सहपाठियों के साथ क्लास उत्तीर्ण करने का मौका दिया जाए। 
3. कक्षा X और XII की पूरी बोर्ड परीक्षा फ़ीस बच्चों को वापस की जाए। 

धन्यवाद सहित

संयोजक समिति
लोक शिक्षक मंच

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