Friday, 21 April 2023

उच्च-कक्षाओं के इतिहास के पाठ्यक्रम में हुई कटौती के मायने: एक शिक्षिका की नज़र से

 

सीबीएसई ने पहली बार कोर्स 2021-22 में काटा। तर्क यह दिया गया था कि कोरोना प्रभावित सत्र में कोर्स कम करना मजबूरी है। 2022-23 में सत्र समय से शुरु हुआ और नियमित चला। लेकिन कोर्स काटना जारी रहा।

सीबीएसई कक्षा XI में इतिहास विषय में पहले 11 अध्यायों को पढ़ाने के लिए 210 पीरियड निर्धारित करता था और अब 7 अध्यायों को पढ़ाने के लिए 210 पीरियड निर्धारित करता है। कक्षा XII में इतिहास विषय में पहले 15 अध्यायों को पढ़ाने के लिए 220 पीरियड निर्धारित करता था और अब 12 अध्यायों को पढ़ाने के लिए 220 पीरियड निर्धारित करता है। विडंबना यह है कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाने के लिए 220 के आधे पीरियड मिलना भी ग़नीमत है! शिक्षकों द्वारा किए जाने वाले ढेरों ज़रूरी कामों में से सबसे गैर-ज़रूरी काम 'पढ़ाना' है। इसलिए सरकारी स्कूलों को स्थायी rationalisation की ज़रूरत पड़ती रहेगी! 

     

  कक्षा XI की इतिहास पाठ्यचर्या विश्व इतिहास की झलक देती है। इस शिक्षिका ने 8 साल यह पाठ्यचर्या पढ़ाते हुए जिन अध्यायों से विद्यार्थियों को सबसे ज़्यादा जुड़ते देखा है, जिन अध्यायों  को पूर्वाग्रह तोड़ने और इतिहास का बोध कराने में ज़्यादा सहायक पाया है, वे हैं: 

पाठ 1- समय की शुरुआत

पाठ 2- लेखन और शहरीकारण की शुरुआत (मेसोपोटामिया)

पाठ 4- इस्लाम का उदय और विस्तार

पाठ 7- बदलती हुई सांस्कृतिक परंपराएँ  (मानवतावाद)

पाठ 9- औद्योगिक क्रांति

पाठ 8/10- जिनमें यूरोपीय साम्राज्यवाद का इतिहास है (इनमें से एक अध्याय हटाया गया है और एक रखा गया है)

हालांकि यह टिप्पणी व्यक्तिगत अनुभव पर आधारित है, लेकिन एनसीईआरटी की उस टीम से जवाब वांछित है जिसने इन 6 अध्यायों में से 3 अध्याय (समय की शुरुआत, इस्लाम का उदय और विस्तार व औद्योगिक क्रांति) काटने की सलाह दी। क्या इन तीन अध्यायों को पढ़ाने का उनका अनुभव इतना अलग था?

पाठ 1 में पारम्परिक ज्ञान, जो रेडीमेड (बने-बनाये) मनुष्य का सिद्धांत देता है, और डार्विन का सिद्धांत, जो मनुष्य के क्रमिक विकास को साबित करता है, आपस में टकराते हैं। पाठ 4 में सातवीं शताब्दी में पैगंबर मोहम्मद के सन्देश को ऐतिहासिक-भौगोलिक संदर्भ में रखकर समझना और इस संदर्भ में किताब में बताई बातें व घरेलू ज्ञान (जिनमें संदेह, पूर्वाग्रह, असहमति, टकराव भी होता है) कक्षा में विस्तृत संवाद को जन्म देते हैं। 

पाठ 9 में फैक्ट्री उत्पादन का आर्थिक और सामाजिक इतिहास विद्यार्थियों, विशेषकर मज़दूर वर्ग के बच्चों, को अपने जीवन को समझने में मदद करता है। इसके बिना पाठ्यचर्या मध्यकालीन और समकालीन दुनिया को कैसे जोड़ेगी?

साथ ही एनसीईआरटी को इस बात का स्पष्टीकरण भी देना होगा कि कक्षा XI के पूरे सत्र के लिए केवल 7 अध्याय क्यों रखे गए हैं। कोरोना सत्र में कक्षा XI में मूल्यांकन के लिए 8 अध्याय रखे गए थे, लेकिन 2022-23 में कक्षा XI में 7 अध्याय ही रखे गए!

 

कक्षा XII की इतिहास पाठ्यचर्या भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास से गुज़रती है। पिछले दो सालों में सीबीएसई द्वारा मूल्यांकन के लिए ये अध्याय काटे गए थे:

पाठ 8 - किसान, ज़मींदार और राज्य (मुग़ल काल) (2021-22 में deleted)

पाठ 9 - शासक और इतिवृत्त (मुग़ल काल) (2022-23 में deleted)

पाठ 12 - औपनिवेशिक शहर (2021-22 22-23 में deleted)

पाठ 14 - विभाजन को समझना (2021-22 22-23 में deleted)

कक्षा 12 में दो पाठ मुग़ल काल से सम्बंधित हैं। पाठ 8 में एक बड़े साम्राज्य के बनने से खेती और व्यापार में हुए बदलावों की चर्चा है। विद्यार्थी मौर्य साम्राज्य की स्थापना के संदर्भ में ऐसी ही बात पाठ 2 में भी पढ़ते हैं। पाठ 9 की शुरुआत मुग़ल साम्राज्य के राजनीतिक इतिहास से होती है पर अध्याय की प्रमुख थीम 'राज्य के छवि गढ़ने के प्रयास' हैं। यह अध्याय मुग़ल शासक वर्ग का आलोचनात्मक विश्लेषण सिखाता है। शायद कोई शासक वर्ग बच्चों को यह विश्लेषण नहीं सिखाना चाहता। जिस दौर में बच्चे समाज में सुनते हैं कि मुग़ल विदेशी थे, उस दौर में इस अध्याय का महत्त्व बढ़ जाता है क्योंकि आप युवाओं को देसी/विदेसी/भारतीय/औपनिवेशिक सम्राज्यों का फ़र्क़ समझा सकते हैं। जिस दौर में बच्चों को मुग़लों को खलनायक समझना सिखाया जा रहा है, उस दौर में आप बात कर सकते हैं कि इतिहास ने अशोक को धम्म की नीति और अकबर को सुलह-ए-कुल की नीति के कारण नरमी से देखा है।

हालांकि एनसीईआरटी ने अपनी साइट पर यह नहीं लिखा कि किताब 3 में कोई परिवर्तन किया गया है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि पाठ 13 (महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आंदोलन) से नाथूराम गोडसे से जुड़ी पंक्तियाँ हटाई गई हैं। और पाठ 14 (विभाजन को समझना) को तो दो साल से सीबीएसई द्वारा मूल्यांकन के लिए पाठ्यचर्या में शामिल ही नहीं किया जा रहा है। (ये बात अलग है कि देश का शीर्ष नेतृत्व 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका के रूप में मनाने की एकतरफ़ा घोषणा कर चुका है।)

हम यह जान लें कि अधिकतम छात्र कुछ सवालों के साथ कक्षा 12 शुरु करते हैं। इनमें से 2 सवाल हैं:

गोडसे ने महात्मा गाँधी को गोली क्यों मारी थी?

भारत का विभाजन क्यों हुआ था?

तो किसी भी अकादमिक कारण से इन हिस्सों को हटाना संभव नहीं लगता। ऐसे में इन हिस्सों को हटाने के पीछे केवल संकुचित राजनीतिक कारण समझ आते हैं। पाठ 14 में ब्रिटिश भारत के विभाजन के कारण समझना जटिल है क्योंकि इसमें विभाजन के एक नहीं अनेक कारणों को उजागर किया गया है। मुस्लिम लीग की माँग का ऐतिहासिक संदर्भ दिया गया है, अंग्रेज़ों की 'फूट डालो, राज करो' नीति रखी गई है, मुस्लिम और हिन्दू कट्टरवादी संगठनों के कार्यक्रम बताए गए हैं, आम लोगों के पूर्वाग्रह रखे गए हैं, राज्य की विफलता रखी गई है आदि। भले ही इस जटिल इतिहास की प्रस्तुति में समस्याएं हैं लेकिन यह अध्याय विद्यार्थियों को कम-से-कम यह सरलीकृत समझ नहीं देता कि विभाजन किसी एक व्यक्ति ने प्रधान मंत्री बनने के लालच में अकेले करवा दिया। क्या इस अध्याय को इसी बात की सज़ा दी जा रही है? क्या स्रोतों के आधार पर विभाजन का बेहतर अध्याय तैयार किया जा रहा है?

ये न आदर्श किताबें है और न आदर्श अध्याय, लेकिन यह छंटनी आदर्श की तरफ़ नहीं आदर्श से दूर ले जाती है। 

 

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