Friday, 24 September 2021

पत्र: विद्यार्थियों के वजीफों संबंधित समस्याओं के निवारण हेतु

 प्रति

     शिक्षा मंत्री
     दिल्ली सरकार 

विषय : विद्यार्थियों के वजीफों संबंधित समस्याओं के निवारण हेतु  

महोदय,
लोक शिक्षक मंच शिक्षा के अधिकार के सार्वभौमीकरण व समान स्कूल व्यवस्था के निर्माण के लिए सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था को मज़बूत बनाने में विश्वास रखने तथा काम करने वाला संगठन है। हम आपके समक्ष स्कूलों में विद्यार्थियों के वजीफे संबंधित कुछ समस्याओं को उजागर करना चाहते हैं ताकि इन्हें जल्द-से-जल्द ठीक किया जाए और छात्रों तक उनका हक़ पहुँच पाए।
1. आज शिक्षकों और अभिभावकों के बीच वजीफों को लेकर जानकारी का बहुत अभाव है। इसलिए हमारी माँग है कि एससीईआरटी व विभाग द्वारा आयोजित सेमिनारों में नियमित रूप से अध्यापकों को वजीफों के बारे में प्रशिक्षित किया जाए। शिक्षकों को सत्र की विभिन्न स्कीमों और वजीफों के बारे में अवगत कराया जाए। प्रत्येक वजीफे की शर्तों और दस्तावेज़ों की विस्तृत जानकारी दी जाए ताकि वे समय से सही जानकारी अभिभावकों तक पहुँचा पाएँ और किसी भी बच्चे के केस में कोई ग़लती न हो।
हालांकि विभिन्न स्कीमों की जानकारी विद्यार्थी डायरी में शामिल होती है लेकिन व्यवस्थित ओरिएण्टशन की मदद से वजीफे की व्यवस्था को सुदृढ़ किया जा सकता है, शिक्षकों की शंकओं को दूर किया जा सकता है और उन्हें वजीफों के इतिहास और सिद्धांत के करीब ले जाया जा सकता है। यह इसलिए ज़रूरी है ताकि शिक्षक सामाजिक न्याय के ऐतिहासिक महत्व को समझते हुए वजीफों का कार्यान्वयन कर सकें। यह ट्रेनिंग तभी सार्थक होगी जब यह शिक्षकों के अनुभवों और शंकओं को सम्बोधित कर सके, अन्यथा नित लम्बी होती ट्रेनिंग्स की सूची में यह ट्रेनिंग भी एक बोझिल औपचारिकता बनकर रह जाएगी।
2. सत्र की शुरुआत में ही शिक्षकों द्वारा PTMs में अभिभावकों का भी ओरिएण्टशन किया जाए कि उनका बच्चा किस स्कीम में लाभान्वित होगा और उसकी शर्ते क्या हैं ताकि वे समय रहते ज़रूरी दस्तावेज़ तैयार करवा सकें और अपने बच्चे के अधिकार को लेकर जागृत हों। यह ओरिएण्टशन विद्यार्थी डायरी की मदद से किया जाए। साथ ही अभिभावकों को जाति प्रमाण-पत्र, आय प्रमाण पत्र आदि संबंधित जानकारी भी प्रदान की जाए।
3. सत्र की शुरुआत में ही अभिभावकों को विभिन्न स्कीमों व वजीफों के आवंटन की समय-सारणी प्रदान की जाए ताकि उन्हें मालूम हो कि कौन-सा लाभ कब आवंटित किया जाता है। बिना जानकारी के न वे अपने अधिकार जान पाते हैं और न ही उन्हें पाने के लिए प्रयास कर पाते हैं।
शिक्षा निदेशालय की वेबसाइट पर भी सभी स्कीमों व वज़ीफ़ों संबंधी विस्तृत जानकारी हो जिससे अभिभावक एक जगह विभिन्न स्कीमों और वजीफों, इनकी आवेदन की शर्तों, प्रक्रिया, ज़रूरी दस्तावेज़ बनाने की प्रक्रिया, आवेदन उपरांत स्थिति, राशि प्राप्ति के लिए अधिकतम समय, शिकायत तंत्र आदि के बारे में जान सकें। 
4. यह जाँचने के लिए कि क्या बच्चों के खातों में पैसा पहुँचा है या नहीं, बच्चों को बैंक से पासबुक अपडेट करवाने के लिए कहा जाता है। अक्सर विद्यार्थी स्कूल आकर बताते हैं कि इस काम के लिए उन्हें बैंक के कई चक्कर लगाने पड़ते हैं क्योंकि किसी न किसी कारण से बैंक में पासबुक अपडेट नहीं हो पाती है। वहीं हमारे विद्यार्थी अपने हर काम के लिए बार-बार बैंक की लाइन में खड़े होते हैं। यह अपमानजनक अनुभव ख़त्म होना चाहिए। इसके लिए शिक्षा विभाग बैंकों को उचित सलाह जारी करे। साथ ही शिक्षकों को शिक्षा विभाग की वेबसाइट के माध्यम से इस जानकारी के बारे में सूचित किया जाए।
5. विद्यालयों में ऐसे अनेक विद्यार्थी हैं जो यह शिकायत करके चुप बैठ जाते हैं कि उनके खाते में पैसे नहीं आए। यह घोटाला नहीं तो क्या है कि न तो बच्चों का पैसा उन तक पहुँच रहा है और न ही पता लग रहा है कि वो पैसा जा कहाँ रहा है? इसलिए शिक्षकों और विद्यार्थियों को अवगत कराया जाए कि स्कीम का पैसा/वजीफा न आने की स्थिति में वे किस शिकायत निवारण तंत्र का सहारा ले सकते हैं। अभी हमें ऐसे किसी तंत्र की जानकारी नहीं है जहाँ बच्चे यह शिकायत डाल सकें कि आधार से जुड़े होने के बावजूद उनके खाते में पैसा नहीं आया। यह तंत्र पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से काम करे। इसकी जानकारी स्कूलों और अभिभावकों तक पहुँचाई जाए। जिन बच्चों का पिछले सत्र का पैसा नहीं आया है उन्हें ब्याज समेत उसका भुगतान किया जाए।
6. इसी सत्र से यह नियम भी बनाया जाए कि जिन बच्चों का पैसा उनके खाते में नहीं पहुँचेगा उन्हें नक़द पैसा दिया जाएगा। अगर DBT को जनता की मदद के लिए लाया गया था तो तकनीकी सीमाओं के कारण एक भी बच्चे को उसके वजीफे से वंचित करने की जवाबदेही किसकी है? एक के साथ अन्याय, सब के साथ अन्याय है।
7. शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 मुफ़्त किताबों का अधिकार कक्षा 8 तक ही देता है। लेकिन हमारा अनुभव बताता है कि किताबें (नाकि बैंक ट्रांसफर) और लिखने की सामग्री (कॉपी आदि) की ज़रूरत कक्षा 9-12 के विद्यार्थियों को भी है। वैसे भी किताबों के लिए दी जाने वाली सब्सिडी की राशि इतनी नहीं है कि उसमें बच्चे सारी किताबें खरीद सकें। इसलिए हमारी माँग है कि कक्षा 9-12 के विद्यार्थियों को भी किताबें दी जाएँ नाकि पैसे। साथ ही कक्षा 9-12 के विद्यार्थियों को भी लिखने की सामग्री दी जाए।
8. कई विद्यालयों में EBM स्कॉलरशिप के लिए स्व-प्रमाणित आय घोषणापत्र को MLA/पार्षद से प्रमाणित करवाकर लाने के लिए कहा जाता है जबकि विभाग द्वारा ऐसी कोई शर्त नहीं रखी गई है। स्कूलों को यह स्पष्टीकरण जारी किया जाए कि EBM के लिए स्व-प्रमाणित अल्पसंख्यक सर्टिफिकेट व आय प्रमाण पत्र ही मान्य हैं।
9. SC/ST/OBC/Minority पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों के मेरिट और स्टेशनरी वजीफे को एक नहीं, बल्कि पहले की तरह दो अलग-अलग वजीफों के रूप में ही आवंटित किया जाए। स्टेशनरी की ज़रूरत हर बच्चे को है इसलिए इसे परीक्षा-परिणाम से जोड़ना अन्याय है। दोनों वजीफों को जोड़ने के बाद से उन बच्चों को स्टेशनरी का पैसा मिलना बंद हो गया है जिनके अंक कक्षा IX-X में 50% से कम और कक्षा XI-XII में 60% से कम हैं। क्या कम अंक वाले बच्चों को स्टेशनरी की ज़रूरत नहीं है? इसलिए इन दोनों वजीफों को पुन: अलग किया जाए।
10. 2020-21 में मेरिट और स्टेशनरी स्कॉलरशिप का आवंटन नहीं किया गया। ऐसा क्यों? न ही इसके बारे में शिक्षकों व अभिभावकों को सूचित किया गया। सत्र 2021-22 की स्टूडेंट डायरी में भी मेरिट व स्टेशनरी की स्कॉलरशिप का ज़िक्र नहीं है। दो सालों तक किसी वजीफे को बंद रखा गया और विभाग ने इस पर चुप्पी साधी रखी। इसकी जवाबदेही किसकी है? इन सवालों के जवाब दिए जाएँ और पिछले सत्र की इस स्कॉलरशिप का आवंटन हो। कानून बनाकर वज़ीफ़ों को एक वैधानिक आधार दिया जाए, ताकि उनका आवंटन स्कीम की मनमर्ज़ी व अनिश्चितता की भेंट न चढ़े। 
11. अख़बारी रपट और हमारे अनुभव बताते हैं कि प्री और पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप फॉर माइनॉरिटी के ऑनलाइन आवेदन की शर्त के चलते अधिकतम बच्चे इसे भर ही नहीं पा रहे हैं। हेल्पडेस्क लगवाकर और अतिरिक्त स्टॉफ रखकर ऑनलाइन आवेदन में विद्यार्थियों की मदद की जाए और केंद्र सरकार पर यह दबाव बनाया जाए कि ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों माध्यमों से आवेदन स्वीकार किए जाएँ।
यहाँ तक कि प्री मेट्रिक और पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप फॉर माइनॉरिटी की जानकारी 2021-22 की विद्यार्थी डायरी में भी नहीं दी गई है। अगर यह डायरी विद्यार्थियों की सम्पूर्ण जानकारी के लिए है तो इस वजीफे की जानकारी को हटाना ग़लत है। इसे पूर्ण सूचना के साथ डायरी में दोबारा शामिल किया जाए।
12. पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप में आय प्रमाण-पत्र के डाले जाने के बाद से आवेदकों की संख्या बहुत घटी है। हमारे अधिकतम विद्यार्थियों के माता-पिता अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं। वे ऐसे दस्तावेज़ इकट्ठा ही नहीं कर पाते जो आय प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए ज़रूरी होते हैं। राज्य सरकार जवाब दे कि इस शर्त को पोस्ट मेट्रिक स्कॉलरशिप में क्यों रखा गया है। जो विद्यार्थी आय प्रमाण-पत्र नहीं बनवा पाते उनकी मदद के लिए सरकार द्वारा क्या प्रयास किए जा रहे हैं? 
13. CWSN के वजीफों में 50% अटेंडेंस की जोड़ी गई नई शर्त को हटाया जाए क्योंकि ऐसे बच्चे अक्सर मजबूरीवश स्कूल नहीं आ पाते हैं। कम उपस्थिति के पीछे उनकी मजबूरियाँ समझने की बजाय उन्हें सज़ा देना ग़लत है। बल्कि जो विशेष ज़रूरतों वाले बच्चे विद्यालय नहीं आ पा रहे हैं, उनके कारणों को जानने का प्रयास किया जाए और व्यवस्थित अध्ययन की रपट को सार्वजनिक किया जाए।
14. शिक्षा विभाग DCPCR व समाज कल्याण विभाग के साथ मिलकर विद्यालयों के बीच यह सर्वेक्षण कराए कि साल-दर-साल विभिन्न वजीफों की शर्तों के बदलने से आवेदन की संख्या में क्या बदलाव हुए हैं। अगर आवेदन और आवंटन घटा है तो उसके कारणों का अध्ययन करके रपट को सार्वजनिक किया जाए व प्रक्रिया में पाई गई समस्याओं के निवारण हेतु कार्यवाही हो।
15. विद्यार्थियों के ये अनुभव भी इकट्ठे किए जाएँ कि उन्हें इन्कम सर्टिफिकेट बनवाने में क्या समस्याएँ आती हैं। या तो SDM दफ़्तर द्वारा विद्यालयों में कैंप लगवाकर इन्कम सर्टिफिकेट बनवाने में विद्यार्थियों की मदद की जाए, अन्यथा विभिन्न वजीफों से इन्कम सर्टिफिकेट की शर्त को हटाया जाए क्योंकि इस दस्तावेज़ की माँग अन्यायपूर्ण अपवर्जन का कारण बन गई है।
16. आज दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की बड़ी संख्या SC/ST/OBC/Minority पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों की है, लेकिन इनमें से अधिकतम अभिभावकों को यह जानकारी ही नहीं होती कि जाति प्रमाण-पत्र क्या होता है, इसे कैसे बनवाएँ आदि। यह भी ग़लत है कि बिना जाति प्रमाण-पत्र के विद्यालयों में दाखिले के समय भी बच्चे की उस जातिगत पृष्ठभूमि को दर्ज नहीं किया जाता है जो अभिभावक बताते हैं। जाति प्रमाण-पत्र की शर्त वजीफों के लिए है, लेकिन अगर हम विद्यार्थियों की सही जातिगत पृष्ठभूमि दर्ज ही नहीं करेंगे तो यह उनकी पहचान को अदृश्य करने के समान होगा। एडमिशन फॉर्म में बच्चे की जातिगत पृष्ठभूमि और जाति प्रमाण-पत्र को अलग-अलग कॉलम में दर्ज किया जाए।
17.कक्षा 1-8 के अनुसूचित जाति से संबंध रखने वाले विद्यार्थियों के लिए प्री-मेट्रिक वजीफे को शुरू किया जाए।
18. अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग से आने वाले विद्यार्थियों के वजीफों के लिए इन्कम सर्टिफिकेट की शर्त को ख़त्म किया जाए। अनुसूचित जाति के संदर्भ में आय सीमा की शर्त रखना creamy layer के सिद्धांत के समान है, जोकि अनुसूचित जाति वर्ग के संदर्भ में असंवैधानिक है।

धन्यवाद

संयोजक समिति 
लोक शिक्षक मंच 

प्रतिलिपि:
निदेशक, दिल्ली शिक्षा विभाग
निर्देशक , समाज कल्याण विभाग, दिल्ली 
चेयरपर्सन, DCPCR 
केंद्र मंत्री, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय 
शिक्षा मंत्री, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार 
चेयरपर्सन, NCPCR 

No comments: