Wednesday 8 January 2020

पत्र: बारहवीं तक की समस्त स्कूली शिक्षा को पूर्णतः मुफ़्त बनाने की माँग


S.No. LSM/01/DECEMBER/2019                                                              DATE: 29/12/2019
  
प्रति 

शिक्षा मंत्री 
दिल्ली सरकार 

विषय: बारहवीं तक की समस्त स्कूली शिक्षा को पूर्णतः मुफ़्त बनाने की माँग 

महोदय

लोक शिक्षक मंच आपके समक्ष सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की बारहवीं कक्षा तक की पूरी शिक्षा को मुफ़्त बनाने की नीति बनाने की माँग रखना चाहता है। जैसा कि हम जानते हैं, वर्तमान क़ानून में आठवीं कक्षा तक की शिक्षा को एक अधिकार के तौर पर दर्ज करते हुए मुफ़्त किया गया है, जबकि आज समाज के वंचित-शोषित वर्गों में शिक्षा के प्रति चाहत एवं उम्मीद इससे कहीं ज़्यादा की माँग करती है। आज़ादी के 70 साल बाद तक भी ये अधिकार कक्षा 9 से 12 के विद्यार्थियों को क्यों मुहैया नहीं हो पाया है जबकि हम जानते हैं कि आज महज़ आठवीं तक की शिक्षा से बराबरी के रास्ते नहीं खुलते हैं। इसका नतीजा यह है कि उच्च-शिक्षा प्राप्त करने की आकांक्षा रखने वाले लाखों बच्चों के लिए आठवीं के बाद यह सफ़र जारी रख पाना मुश्किल होता जाता है। ख़ुद दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के आँकड़े इस कड़वी सच्चाई को उजागर करते हैं। उदाहरण के तौर पर, छठी से आठवीं तक प्रत्येक कक्षा में जहाँ दो लाख से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं, दसवीं में यह संख्या पौने दो लाख और बारहवीं में एक लाख तीस हज़ार रह जाती है। (जनवरी 2019) वैसे भी, हम देखते हैं कि आठवीं कक्षा के बाद स्कूलों में बच्चों के नाम कभी उपस्थिति कम होने के नाम पर, कभी फ़ेल होने पर और कभी स्कूलों पर परिणाम चमकाने के दबाव के चलते काट दिए जाते हैंI ऐसे में आर्थिक, सामाजिक और स्वास्थ्य के संकट झेल रहे बच्चों के लिए शिक्षा अधिकार की वस्तु न होकर एक दुष्कर चुनौती हो जाती हैI फ़ीस बढ़ोतरी इन बच्चों की तालीम के रास्ते में एक बड़ी बाधा ही बनेगीI   

इस बीच हमने यह भी देखा है कि निजीकरण की जन व शिक्षा विरोधी नीतियों के तहत कैसे स्कूली शिक्षा व उच्च-शिक्षा को और महँगा किया जा रहा है। देशभर के विश्वविद्यालयों व उच्च-शिक्षा संस्थानों में बढ़ती फ़ीस के ख़िलाफ़ चल रहे विद्यार्थी आंदोलन इसका जीता-जगता सबूत हैं। सीबीएसई का परीक्षा फ़ीस बढ़ाना इसी कड़ी का एक उदाहरण है। एक झटके में दिल्ली के लाखों बच्चों ने पाया कि उन्हें शिक्षा से बाहर करने की दहलीज पर ला खड़ा किया गया। यह उचित ही था कि उनके विरोध व परिस्थितियों को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सीबीएसई की बढ़ी हुई फ़ीस का भुगतान जनकोष से करने का फ़ैसला किया। इस सिलसिले में एक संयुक्त अभियान के तहत एक माँग पत्र आपको पहले भी सौंपा गया था। हमें ज्ञात नहीं है कि सरकार ने इस विषय में क्या विचार किया है व कोई फ़ैसला लिया भी है या नहीं।

इस साल दिल्ली सरकार द्वारा सीबीएसई की बढ़ी हुई फ़ीस का भुगतान करने से विद्यार्थियों व उनके परिवारों को तात्कालिक राहत तो मिली, लेकिन यह समस्या का दूरगामी अथवा स्थाई समाधान नहीं है। वैसे भी, जब तक यह निर्णय स्कूलों व लोगों तक पहुँचाया गया तब तक अधिकतर अभिभावक व विद्यार्थी तनाव से ग़ुज़र चुके थे तथा दबाव में आकर फ़ीस का 'जुगाड़' कर चुके थे। फिर अगले साल के विद्यार्थियों का क्या होगा? नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत बहुत संभव है कि सीबीएसई तो अब हर साल फ़ीस में बढ़ोतरी करेगी। एक साल फ़ीस का भुगतान करके दिल्ली सरकार अपनी ज़िम्मेदारी से मुकर नहीं सकती।

आज दिल्ली सरकार के स्कूलों में मुख्यतः मज़दूर वर्ग के परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं। इनमें अधिकतर परिवारों का बसर दिहाड़ी पर होता है और न्यूनतम मज़दूरी भी नहीं मिलती है। हमने पाया कि कई परिवारों के एक से अधिक बच्चे दसवीं-बारहवीं में पढ़ रहे थे, कुछ को अकेली महिला चला रही थी, कुछ स्वास्थ्य-आजीविका आदि परिस्थितियों का आपातकाल झेल रहे थे .... फलतः अपवाद स्वरूप ही कोई परिवार सीबीएसई की बढ़ी हुई फ़ीस देने की स्थिति में था। एक लोकतांत्रिक सरकार के लिए यह शर्म की बात है कि कई परिवार सीबीएसई की फीस भरने के लिए कर्ज़ा तक लेने को मजबूर हो गयेI ज़ाहिर है, जबकि एक तरफ़ लोग इन परिस्थितियों में शिक्षा से उम्मीद लगाए बैठे हैं और दूसरी तरफ़ न सिर्फ़ एक सम्मानजनक व ख़ुशहाल जीवन जीना मुश्किल होता जा रहा है, बल्कि शिक्षा भी महँगी कर दी जा रही है, मुफ़्त शिक्षा के क़ानूनी अधिकार के दायरे को बढ़ाना अनिवार्य है।    

हम माँग करते हैं कि
·         दिल्ली सरकार केंद्र सरकार पर संपूर्ण स्कूली शिक्षा को मुफ़्त बनाने का क़ानून लाने का दबाव बनायेI
·         दिल्ली सरकार अपने स्तर पर यह नीतिगत निर्णय ले और इस बाबत क़ानून लाये कि उसके स्कूलों में किसी भी विद्यार्थी से बारहवीं तक की कोई फ़ीस नहीं ली जाएगी। ऐसी नीति बनाने से केंद्र सरकार पर भी प्रत्यक्ष दबाव बनेगा। 

संवैधानिक मूल्यों को साकार करने तथा जनता के हक़ों की प्राप्ति की दिशा में बढ़ने के लिए पूरी स्कूली शिक्षा को बिना शर्त मुफ़्त करना एक अनिवार्य क़दम है।                                                                                         

सधन्यवाद 


सदस्य                               सदस्य
संयोजक समिति                                                                                 संयोजक समिति
लोक शिक्षक मंच                                                                                लोक शिक्षक मंच