Sunday 1 March 2020

एक शिक्षिका की चिट्ठी उसकी छात्राओं के नाम

मेरी प्यारी बच्चियों

पूरा साल हमने जाति, धर्म, लिंग, भाषा और न जाने कितनी तरह की दूसरी बहुत सी दीवारों को तोड़ते हुए, हर रोज़ कुछ नया सीखने की कोशिश की। हम सबने मिलकर साल के अंत में होने वाली परीक्षाओं के लिए खुद को तैयार किया। लेकिन मैं तुम सभी से माफ़ी चाहूंगी कि इस समय जब तुम्हारे इम्तिहान सिर पर हैं। मैं ये चिट्ठी कुछ और बातें कहने के लिए तुम्हें लिख रही हूं। ...कुछ ऐसी बातें जो इस समय मुझे तुम्हारी परीक्षाओं से भी ज़्यादा ज़रूरी लग रही हैं।

आखिर ऐसा क्या है, जो इस समय तुम्हारी परीक्षाओं से भी ज़्यादा ज़रूरी है? तो सुनो..! वह है इंसानियत, प्रेम और हमारी संवेदनाओं का बचे रहना। इस समय जब तुम्हारे आसपास बहुत कुछ घट रहा है, तब बहुत तरह के संदेश तुम्हें सोशल मीडिया पर मिल रहे होंगे। इतने तरह के कि हो सकता है कि कभी शायद तुम्हें खुद भी समझ न आए कि कौन-सा सन्देश तुम्हारे हक़ में है और कौन सा तुम्हारे खिलाफ़? कौन सा सही है और कौन सा गलत? कौन सा वीडियो या ऑडियो सच्चा है और कौन सा झूठा? तुम्हें खुद भी नहीं पता कि कौन उन्हें बना रहा है और कौन उन्हें किस मकसद के साथ भेज रहा है?

लेकिन सही और गलत को पहचानने का एक तरीका मैं तुम्हें ज़रूर बता सकती हूं। सही और गलत का फ़र्क पहचानने के लिए तुम इन संदेशों की भाषा को ज़रूर समझना..। आख़िर, प्रेम और नफ़रत की भाषा में फ़र्क करना तुम बच्चों से बेहतर और किसे आता होगा? जब भी तुम्हें लगे कि किसी संदेश में दूसरे धर्म के लोगों के प्रति नफ़रत झलक रही है तो चौकन्नी हो जाना, क्योंकि नफ़रत हैवानियत को पैदा करती है, इंसानियत और प्रेम को नहीं…! अगर तुम्हें लगे कि दूसरे धर्म के लोगों से तुम्हें डराया जा रहा है और उनके प्रति घृणा, नफ़रत और डर का भाव वह संदेश तुम्हारे भीतर भर रहा है, तो उस संदेश से तुरंत दूर हो जाना।

यह भी याद रखना कि भारत की एक बड़ी आबादी गरीब, भूखी और मजदूर है। इस गरीब, भूखी और मजदूर आबादी को एक दूसरे को हत्या करवा कर या नफ़रत करके क्या रोटी, रोज़गार और शिक्षा मिल जाएंगे? क्या इस नफ़रत का फ़ायदा किसी भी धर्म के मजदूरों को होगा? फिर ये भी सोचना कि उन मजदूरों के बीच इस नफ़रत का फ़ायदा किसे होगा? इसके बाद शायद तुम्हें तुम्हारे जवाब मिलने लगें । तब तुम्हारे किसी पडोसी को या शायद किसी अनजान को भी तुम बिना उसका धर्म और जाति देखे उसकी मदद कर सकोगी और फिर जब तुम्हारे सामने कोई साम्प्रदायिक और जातिगत नारा लगाए, तब तुम मानवता और प्रेम की जय का नारा लगाना..!

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