Monday 27 November 2023

पत्र: दिल्ली के स्कूलों से लगातार घटते कच्चे मैदान, बच्चों के खेलने के अधिकार का हनन।

 प्रति

      शिक्षा मंत्री
      दिल्ली सरकार
विषय:- दिल्ली के स्कूलों से लगातार घटते कच्चे मैदान, बच्चों के खेलने के अधिकार का हनन।
महोदया,
लोक शिक्षक मंच आपके संज्ञान में दिल्ली सरकार व निगम के स्कूलों के मैदानों से जुड़ी एक गंभीर समस्या लाना चाहता हैI हम देख रहे हैं कि पिछले कुछ सालों से दिल्ली के सरकारी/निगम स्कूलों से खेल के कच्चे मैदान खत्म होते जा रहे हैं। एक समय तक अधिकांश स्कूलों में मिट्टी के कच्चे मैदान थे जहां प्राथमिक व अन्य कक्षाओं के बच्चे उन्मुक्त रूप से खेल पाते थेI लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इन्हें, टाइल अथवा सीमेंट से पाट कर, लगातार 'पक्का' किया जा रहा है। मजबूरन छोटे बच्चों को पक्की ज़मीन पर ही खेलना पड़ता है जोकि उनके लिए, शारीरिक रूप से घायल होने की संभावना के कारण, बहुत जोखिम भरा होता है। ऐसे में, अधिकांश स्कूलों में बच्चों के चोटिल होने के डर के कारण उनके बाहर खुली जगह में खेलने पर ही पाबंदी लगाने की स्थिति बन जाती है। फिर अधिकतर देशज व बालसुलभ खेलों के लिए कच्ची मिट्टी के मैदान ही उपयुक्त होते हैं, उन्हें कंक्रीट पर नहीं खेला जा सकता है। यह बचपन और बच्चों के विकास की दृष्टि से बेहद ही चिंताजनक है कि बच्चे स्कूल के पांच से छः घंटे कक्षा की चारदीवारी में ही रहें। बच्चों का लंबे समय तक एक सीमित व बंद स्थान पर ही बैठे रहना उनके लिए स्कूल को बेहद ऊबाऊ और पढ़ने-लिखने तथा सीखने की प्रक्रिया को बहुत ही अरुचिकर बना देता है। 
स्कूल में शिक्षकों के अनुभवों से यह ज्ञात हुआ है कि जब बच्चों को खुली जगह में खेलने के अवसर मिलते हैं तो स्कूल में बच्चों की उपस्थिति और कक्षागत गतिविधियों में उनकी सहभागिता बढ़ती है। वहीं, जब इस तरह के अवसर घटाए जाते हैं या उनपर पाबंदी लगाई जाती है, तो उसके नकारात्मक परिणाम सामने आते हैं। स्कूलों में खेल के मैदान ख़त्म करना न केवल बच्चों के शिक्षा के अधिकार का हनन है, बल्कि यह उनके स्वस्थ तथा खुशहाल जीवन के अधिकार पर भी चोट करता है।
चूंकि हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक माहौल में अधिकांश लड़कियों को घर से बाहर और घर के आसपास तक खेलने के अवसर वैसे भी नहीं दिए जाते हैं, इसलिए स्कूलों में खेल के मैदान तथा खेल से वंचित होने का नकारात्मक असर छात्राओं पर अधिक पड़ता है। अत: अगर विद्यालय में भी उनके मैदान व उन्मुक्त खेलने के अवसर छीन लिए जाएंगे तो छात्राओं के विकास व उनकी  चेतना पर हतोत्साहित करने वाला प्रभाव पड़ेगा। दिल्ली के बहुत से इलाकों में बच्चों के खेलने के लिए सार्वजनिक पार्क/ कच्चे मैदान वैसे भी उपलब्ध नहीं हैं। ऐसे में, स्कूलों के खेल के मैदान दिल्ली के अधिकतर, विशेषकर वंचित आबादियों से आने वाले, बच्चों के खेलने का एकमात्र विकल्प हैं। 
इसके साथ ही, कच्चे मैदानों का होना पर्यावरणीय दृष्टि से भी बेहद महत्त्वपूर्ण है। मैदानों को पक्का करने से न केवल भूजल स्तर गिरता है, बल्कि सतह पर एवं उसके आसपास गर्मी असहनीय रूप से बढ़ जाती है। एक तरफ़ हम बच्चों को भाषा तथा पर्यावरण अध्ययन के माध्यम से पर्यावरण संकट, भूजल संरक्षण आदि के बारे में सतर्क करने का दावा कर रहे हैं (देखें 'पानी रे पानी', पाठ 16, हिंदी की पाठ्यपुस्तक, रिमझिम-5 एवं 'बूँद-बूँद, दरिया-दरिया....', पाठ 6, पाँचवीं कक्षा के लिए पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तक आसपास) और लैंगिक बराबरी के पक्ष में व रूढ़ियों के ख़िलाफ़ लड़कियों के खेलकूद को बढ़ावा देने के उद्देश्य को पाठ्यचर्या का अभिन्न हिस्सा जता रहे हैं (देखें 'फाँद ली दीवार', पाठ 17, पाँचवीं कक्षा के लिए पर्यावरण अध्ययन की पाठ्यपुस्तक), वहीं दूसरी तरफ़ उनके स्कूलों के मैदानों का लगातार कंक्रीट में बदलते जाना बच्चों को विरोधाभासी तथा भ्रमित करने वाली शिक्षा देता है। 
शिक्षा संस्थानों के प्रांगणों को कंक्रीट से पाटना पर्यावरण संबंधी SDG लक्ष्यों (4 एवं 5, क्रमशः गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा लैंगिक बराबरी; 6, 11 एवं 13, क्रमशः जल, सतत शहर व समुदाय तथा पर्यावरणीय क़दम) के प्रति भारत सरकार की प्रतिबद्धता और 'खेलो इंडिया' मिशन के उद्देश्यों के भी विपरीत जाता है। स्कूलों में मैदानों व खुले स्थानों का इस तरह का कंक्रीटयुक्त संरचनात्मक विनाश देश के संविधान के अनुच्छेद 51क (नागरिकों के मूल कर्तव्य) के भी ख़िलाफ़ जाता है जिसमें 'प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन' करने के मूल्य को स्थापित किया गया है। 
उपरोक्त संदर्भों में हम आपसे मांग करते हैं कि सभी स्कूलों में कच्चे खेल के मैदान संरक्षित करने एवं, जहां उन्हें पक्का कर दिया गया है, पुन: उपलब्ध कराने हेतु आवश्यक निर्देश जारी करें ताकि बच्चों के अधिकारों तथा पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके।

सधन्यवाद
लोक शिक्षक मंच 

    प्रतिलिपि
    दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग 
    खेल मंत्री, दिल्ली सरकार 
     NGT

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